Monday, 14 December 2020

नवीन कृषि अधिनियम - तर्क, तथ्य और भावना



जब आप तर्क और तथ्य को परे रखकर केवल भावना में बह जाते हैं तो आप ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिए गए सबसे बहुमूल्य उपहार का उपहास कर देते हैं।


ईश्वर द्वारा दिया गया सबसे बहुमूल्य उपहार - तर्कशीलता। पर आपको भावना अधिक प्रिय है तो तर्कशीलता परे ही रह जाएगी।


और फिर कुछ ऐसे कथन आप कहेंगे - " ब्रो किसान की वजह से तुम्हारी थाली में रोटी आती है, और तुम किसान प्रदर्शन के खिलाफ बोल रहे हो"


अब यहां कथन सुनने वाला भी पिघल जाता है और तथ्य और तर्क को त्याग देता है।


अब एसे कथन कहने वाले व्यक्ति में उस क्षण भावुकता का जो उन्माद होता है वो समझ ही सकते हैं, पर तर्क और तथ्य कितने हैं, बता सकते हैं आप??


भावना को एक कोने में रखकर इस कथन के वाचक से कुछ प्रश्न होने चाहिए जिनके उत्तर तर्क और तथ्य के आधार पर होने चाहिए।


प्रश्न जो कि यहां होने चाहिए


१. प्रदर्शन जिस कानून के विरोध में है, उस कानून के बारे में आप जानते हैं? यदि नहीं तो चलिए पहले थोड़ा जानते हैं।

- कानून यह है कि किसान अपनी फसल अब किसी को भी बेच सकता है। वह केवल मंडी के दलालों द्वारा निर्धारित मूल्य पर अपनी मेहनत की फसल बेचने को मजबूर नहीं रहेगा अब। इस कानून के बाद किसान जिसको मर्जी उसको अपनी फसल बेच सकता है। 


२. क्या पहले किसान अपनी मंडी से बाहर फसल नहीं बेच सकता था? 

- पहले भी किसान अपनी फसल मंडी के बाहर बेचता था परन्तु किसी निजी उद्योग को अपनी फसल बेचने के लिए मंडी को उनका हिस्सा( कर कहिए या दलाली) देना ही पड़ता था। अब ऐसा नहीं होगा। 

अब मंडी के बाहर किसान और उद्योग अपनी लेन देन कर सकेंगे।

अब आप सोचो की यह किसान अनुकूल कानून के विरोध में किसान प्रदर्शन क्यों करेंगे?


३. इस कानून से फिर किसको घाटा है? 


निश्चित ही उस दलाल को जो कुव्यवस्था का लाभ लेकर किसान की मेहनत की कमाई पे हिस्सा खाए बैठा था।

मंडी के दलाल को ही इस कानून से घाटा है। 


४. अब क्योंकि घाटा है तो वो भी इस कानून के खिलाफ कहीं तो प्रदर्शन कर रहे है होंगे? 


- अवश्य कर रहे होंगे। वर्षों से मिल रही काली कमाई जाने पर प्रदर्शन, शोर हल्ला, आगजनी तो कहीं मचा ही रहे होंगे। पर खुलेआम दलाली का अधिकार मांगे तो कैसे। तो उपाय यह लगाया गया कि किसान प्रदर्शन का नाम देकर अपनी अनुचित मांगे क्यों न पूरी करवाई जाए सरकार से। क्योंकि किसान के लिए सभी भावुक हो ही जाएंगे, और जैसा ऊपर कहा, तथ्य और तर्क दोनों ही भूल जाएंगे।


५. लेकिन प्रदर्शन में शामिल सभी तो दलाल नहीं हो सकते?


- निश्चित ही इनमें बहुत किसान भी हैं क्योंकि किसान प्रदर्शन नाम देकर इन दलालों ने कुछ अनभिज्ञ किसान भाइयों को इस प्रदर्शन से जोड़ रखा है। परन्तु बड़ी संख्या में इनमें वो भाढ़े के लोग हैं जो हर प्रदर्शन में कुछ रुपयों के लिए प्रदर्शन और आगजनी करने पहुंच जाते हैं। 


६. परन्तु यह रुपया दे कौन रहा है और तथाकथित किसान प्रदर्शन आयोजित कौन कर रहा है?


- कौन लोग इन प्रदर्शन को हवा दे रहे हैं, ये साफ दिखाई दे रहा है। बस थोड़ा तथ्य जानिए और थोड़ा तर्क लगाइए।



७. (अन्तिम प्रश्न) - किसी कट्टरपंथी नेता की तस्वीर के साथ प्रदर्शन किसान प्रदर्शन है या कट्टरपंथ की नई शुरुआत?



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